Camere Me Band Apahij | कैमरे में बंद अपाहिज | प्रतिपाद्य एवं सार | NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 2
प्रतिपाद्य
‘कैमरे में बंद अपाहिज' कविता लोग भूल गए हैं काव्य-संग्रह से लिया गया है। कवि ने इस कविता में शारीरिक कस्ट को झेल रहे व्यक्ति की दर्द के साथ-साथ दूर-संचार माध्यमों के चरित्र को भी दर्शाया गया है। किसी व्यक्ति की पीड़ा को दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले उस व्यक्ति के पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील होना आर दुसरो को संवेदनशील बनाने का हूनर होना चाहिए। आज विडंबना यह है कि जब पीड़ा को पर्दे पर अच्छी तरह दर्शाने की प्रयास किया जाता है तो कारोबारी अपनी काम के दबाव में प्रस्तुतकर्ता का रवैया को संवेदनहीन बना देता है। यह कविता में कवी टेलीविजन स्टूडियो के भीतर की दुनिया को समाज के सामने प्रकट करती है और उन सभी समाज के व्यक्तियों की तरफ इशारा करती है जो किसी व्यक्ति की दुख-दर्द, यातना वेदना आदि को बेचना चाहते हैं।
सार
इस कविता के जरिये कवी बताते हें की दूरदर्शन के संचालक स्वयं को शक्तिशाली और दूसरे को कमजोर मानते हुए वे एक शारीरिक कस्ट को झेल रहे विकलांग व्यक्ति से पूछते हैं कि क्या आप अपाहिज हैं? आप अपाहिज क्यों हैं? आपको इससे क्या दुख होता है? फिर वह समय की कमी हें बताते हुए उसके दुख को जल्दी कहने को कहते है। यहा वो संचालक सभी प्रश्नों का उत्तर अपने मुताविक चाहता है। इन प्रश्नों से विकलांग घबरा जाता है और इधर संचालक अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उसे रुलाने की कोशिश करते है ताकि दर्सक भावुक हो सके। इसी से उसका उद्देश्य की पूर्ति होती हें और वह इसे सामाजिक उद्देश्य कहता है, परंतु 'परदे पर वक्त की कीमत है' ऐसी वाक्य से ही उनकी व्यापार की पोल खुल जाती है।